सिहावा में अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष एवं राज्य स्थापना रजत जयंती वर्ष पर संगोष्ठी आयोजित
आर्थिक शोषण से मुक्ति का मार्ग है सहकारिता : नेमीचंद देव
उत्तम साहू
नगरी-सिहावा/ विकसित और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में सहकारिता की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। सहकार की भावना से ही समाज आर्थिक रूप से सशक्त बन सकता है और शोषण की जंजीरों से मुक्त हो सकता है। यह बात सहकारिता विस्तार अधिकारी नेमीचंद देव ने कही। वे अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 एवं छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना के रजत जयंती वर्ष के अवसर पर नगरी विकासखंड अंतर्गत लैंप्स सिहावा में आयोजित एकदिवसीय संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।
नेमीचंद देव ने कहा कि केंद्र शासन द्वारा सहकार से समृद्धि के अंतर्गत 54 विभिन्न पहलुओं को लागू किया गया है, जिनके माध्यम से सहकारिता आंदोलन को नए आयाम मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि “सहकारिता का विजन केवल संगठनात्मक नहीं, बल्कि आर्थिक स्वतंत्रता की दिशा में ठोस कदम है। इसके जरिए हम ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त कर आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को साकार कर सकते हैं।”
कार्यक्रम का आयोजन जिला सहकारी संघ धमतरी द्वारा किया गया था, जिसमें जनपद पंचायत नगरी की सभापति श्रीमती प्रेमलता नागवंशी, लैंप्स सिहावा के पूर्व प्राधिकृत अधिकारी यशवंत नाग, उप सरपंच सुनील निर्मलकर, सहकारिता विस्तार अधिकारी एन.सी. देव, लैंप्स प्रबंधक राजेश यदु एवं संघ प्रबंधक ए.पी. गुप्ता मुख्य रूप से उपस्थित थे।
अपने संबोधन में श्रीमती प्रेमलता नागवंशी ने कहा कि आज के समय में विषमुक्त खेती ही किसानों की समृद्धि का आधार बन सकती है। उन्होंने रासायनिक खादों के सीमित उपयोग और जैविक खादों को प्राथमिकता देने की बात कही। साथ ही उन्होंने गोपालन और पशुपालन को बढ़ावा देने पर जोर देते हुए कहा कि “कृषक यदि परंपरागत कृषि के साथ पशुपालन को जोड़ें, तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था में स्थायी समृद्धि संभव है।”
संगोष्ठी में मंचस्थ अतिथियों ने भी सहकारिता के विभिन्न आयामों और उसके सामाजिक-आर्थिक महत्व पर अपने विचार रखे। बड़ी संख्या में क्षेत्र के कृषक, सहकारी सदस्य एवं ग्रामीणजन कार्यक्रम में उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का संचालन संघ प्रबंधक ए.पी. गुप्ता ने किया तथा आभार प्रदर्शन लैंप्स सिहावा प्रबंधक राजेश यदु द्वारा किया गया। पूरे आयोजन का वातावरण सहकारिता की भावना, सहभागिता और आत्मनिर्भरता के संकल्प से ओत-प्रोत रहा।




