छोटे बच्चियों के सुआ नृत्य ने मोहा सबका मन..विलुप्त होती लोक परंपरा को सहेजने की छोटी सी पहल
उत्तम साहू
नगरी। छत्तीसगढ़ की पारंपरिक लोक संस्कृति और परंपराएं अपनी विशिष्टता के लिए जानी जाती हैं। इन्हीं में से एक है सुआ नृत्य, जो कभी गांव-गांव की पहचान हुआ करता था, लेकिन अब आधुनिकता के दौर में धीरे-धीरे विलुप्ति की ओर बढ़ रहा है। ऐसे समय में नगरी विकासखंड के ग्राम मुकुंदपुर (सड़कपारा) में छोटी बच्चियों ने इस पारंपरिक नृत्य को जीवंत कर सबका दिल जीत लिया।
दीपावली पर्व के शुभ अवसर पर आयोजित इस कार्यक्रम में मोहल्ले की नन्ही बालिकाओं — अर्चना मरकाम, गोपेश्वरी नेताम, अंजली मरकाम, प्रियांशी, अकांक्षा नेताम, मनीषा नेताम, वंदना नेताम, विद्या नेताम और होलिका मरकाम — ने पारंपरिक वेशभूषा में सुआ गीतों पर थिरकते हुए आकर्षक प्रस्तुति दी। उनकी मधुर आवाज़ों और मनमोहक भाव-भंगिमाओं ने उपस्थित लोगों को छत्तीसगढ़ी लोक-संस्कृति की याद दिला दी।
कार्यक्रम के दौरान क्षेत्र के प्रसिद्ध माइक्रो आर्टिस्ट श्री भानुप्रताप कुंजाम ने बच्चियों के इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि
> “इन नन्हीं कलाकारों ने न केवल सुआ नृत्य की सुंदर प्रस्तुति दी, बल्कि आने वाली पीढ़ी के लिए हमारी परंपराओं को सहेजने का संदेश भी दिया है।”
उन्होंने बच्चियों को प्रोत्साहित करते हुए आगे भी इस तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने की प्रेरणा दी।
ग्रामीणों ने भी कहा कि यह प्रयास समाज के लिए एक मिसाल है। क्योंकि जब बच्चे अपनी संस्कृति और लोक परंपरा से जुड़े रहेंगे, तभी हमारी विरासत जीवित रह पाएगी।
दीपावली जैसे पावन पर्व पर इन नन्हीं बच्चियों की प्रस्तुति ने पूरे माहौल को पारंपरिक छत्तीसगढ़ी रंग में रंग दिया और उपस्थित सभी जनों के चेहरे पर मुस्कान बिखेर दी।
रिपोर्ट: उत्तम कुमार साहू (नगरी, जिला धमतरी)

