माता शीतला के खड्ग से हुआ सहस्त्रबाहु रावण का वध
ग्रामीण विजय की मिट्टी अपने साथ ले गए,
सिहावा थाना में हुआ देव विग्रहो का सत्कार
नगरी से उत्तम साहू की रिपोर्ट
नगरी। सैकड़ों साल पुरानी परंपरा के अनुरूप शुक्रवार को एकादशी तिथि पर सिहावा गढ़ में दशहरा महोत्सव मनाया गया। इस अवसर पर सहस्त्रबाहु रावण का वध माता शीतला के खड्ग से किया गया। खराब मौसम के बावजूद क्षेत्रीय ग्रामीण बड़ी संख्या में इस ऐतिहासिक परंपरा के साक्षी बने।
परंपरा के तहत इस आयोजन में महिलाओं का प्रवेश वर्जित था। सिहावा गढ़ के देवी-देवता ग्राम भ्रमण कर थाना पहुंचे, जहां उनका स्वागत-सत्कार किया गया। इसके बाद गणेश मंदिर के पास चांदमारी की रस्म पूरी हुई। फिर देव विग्रह दल-बल के साथ शीतला मंदिर पहुंचे।
यहां से माता शीतला का खड्ग लेकर पुजारी ने रावण भाटा में सहस्त्रबाहु रावण का वध किया। इसके बाद विजय का प्रतीक मानकर ग्रामीणों ने रावण के पुतले की मिट्टी नोच-नोच कर अपने साथ ले गए और एक-दूसरे के माथे में लगाकर शुभकामनाएं दीं।
रावण वध के उपरांत शीतला मंदिर में माता शीतला अपने खड्ग से कुष्मांड बलि देकर शांत हुईं और तत्पश्चात गढ़ के देवी-देवताओं को बिदाई दी गई।
अनोखी परंपरा का इतिहास
मान्यता है कि जब भगवान श्रीराम ने लंका के रावण का वध कर सीता माता से पुनर्मिलन किया, तब सीता ने बताया कि अभी सहस्त्रबाहु रावण का वध शेष है। श्रीराम ने उससे युद्ध किया, लेकिन ब्रह्मा से मिले वरदान के कारण वे उसे मार नहीं पाए। मर्यादा तोड़ते हुए सहस्त्रबाहु रावण माता शीतला के समक्ष नग्न होकर ललकारने लगा। तब सीता माता ने आदि शक्ति का रूप धारण कर अपने खड्ग से सहस्त्रबाहु रावण का वध किया। तभी से यह परंपरा सिहावा गढ़ में दशहरा पर्व पर मनाई जाती है।
समिति व सामाजिक सहभागिता
शीतला समिति के अध्यक्ष कैलाश पवार ने बताया कि परंपरानुसार एकादशी के दिन ही स्थानीय कुम्हार सहस्त्रबाहु रावण की मिट्टी की मूर्ति का निर्माण करते हैं। इस अवसर पर समिति महासचिव नेम सिंह बिसेन, सह सचिव नरेंद्र नाग, नारद निषाद, बुधेस्वर साहू, कोशाध्यक्ष गेंदलाल यादव सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण व गणमान्यजन उपस्थित रहे।




