जनजातिय गौरव पर एक दिवसीय कार्यशाला पीजी कालेज कांकेर में किया गया

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जनजातिय गौरव पर एक दिवसीय कार्यशाला पीजी कालेज कांकेर में किया गया



           संवाददाता डा.बलराम सिंह साहू सरोना 

कांकेर। दिनांक 23/11/2025  महाविद्यालय भानुप्रतापदेव शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कांकेर में भगवान बिरसा मुण्डा जयंती तथा जनतातिय गौरव माह के उपलक्ष्य में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया तथा विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि आशारमा नेताम (विधायक, विधानसभा क्षेत्र कांकेर) मुख्य वक्ता विकास मरकाम (अध्यक्ष, छ.ग. आदिवासी स्थानीय स्वास्थ्य स्वस्थ्य परंपरा एवं औषधि पादम बोर्ड, राज्य मंत्री) विशिष्ट अतिथि देवेन्द्र भाऊ (अध्यक्ष जनभागीदारी) थे तथा अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. चेतन राम पटेल द्वारा किया गया।


कार्यक्रम का प्रांरभ एन.एस.एस के छात्र-छात्राओं द्वारा स्वागत नृत्य तथा जनजातिय शहीदों के छायाचित्रों पर माल्यार्पण के साथ हुआ। राजकीय गीत के पश्चात डॉ. लक्ष्मी लेकाम द्वारा परिचयात्मक उद्बोधन तथा प्राचार्य स्वागत भाषण दिया गया। मुख्य वक्ता विकास मरकाम ने भगवान बिरसा मुण्डा की अमर कहानी के साथ-साथ शहीद गेंदसिंह, वीरनारयण सिंह गुण्डाधुर, लांगुर किसान (सरगुजा) आदि की वीर गाथा का वर्णन किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि इन सबका संघर्ष अविस्मरणीय है और वर्तमान शासन प्रशासन द्वारा इस दिशा में अथक प्रयास किया जा रहा है। जिससे हम उन शहीदों को भी जान पाए है जो गुमनाम शहादत के पीछे थे। विधायक आशाराम नेताम ने कहा हमारे आदिवासी भाइयों का जीवन पड़ा कठिन होता है। इस संच से मैं शासन प्रशासन को धन्यवाद देता हॅू कि जनजातिय गौरव को अक्षुण्य बनाए रखने के लिए और विश्व में इस संसकृति को परोसने में उनका अमूल्य योगदान है। हम प्रकृति के पुजारी है और तीर, कमान, भाला हमारी पहचान है। बंदूक हमारी संस्कृति में नहीं है। लोगों से मिलजुल कर रहना हमारी जनजाति का स्वभाव है। आज संस्कृति में पढ़-लिखकर विकृति आ गई है। पाश्चात्य सभ्यता से इसे बचाना होगा।


विशिष्ट अतिथि देवेन्द्र भाऊ ने अपने वक्तव्य की शुरूआत स्वतंत्रता सेवानियों के जयकारे के साथ की। भगवान बिरसा मुण्डा के योगदान तथा सामाजिक उत्थान के लिए उनकी लड़ाई को याद करते हुए बताया कि उन्हे भगवान की पद्वी क्यांे दी जाती है। उन्हें ‘धरती आबा’ (धरती का पिता) कहा जाता है। इस महाविद्यालय के पूर्व प्राध्यापक स्व. वार्ल्यानी सर को याद करते हुए बताया कि अनेक शोध द्वारा उन्होंने भी वीर शहीदों को सामने लाने में अपना योगदान दिया। महाविद्यालय के आडोटोरियम, खेल परिसर और छात्रावास की मांग भी उन्होने माननीय विधायक महोदय के सम्मुख रखी। कार्यक्रम के अंत में रंगोली प्रतियोगिता, व्यंजन प्रतियोगिता, चित्रकला प्रतियोगिता एवं जनजातिय फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता का पुरस्कार विवरण किया गया। अतिथियों को स्मृति चिन्ह प्रदान कर राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। कार्यक्रम में मंच संचालन अलका केरकेट्टा तथा आभार प्रदर्शन डॉ. आशीष नेताम द्वारा किया गया। कार्यक्रम में महाविद्यालय परिवार तथा छात्र-छात्राओं की जनजातिय वेशभूषा में उपस्थिति से शोभा में चार-चांद लग गए।

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