प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्रीनिवास राव पर गंभीर आरोप..शासन ने तलब किया जवाब
वन विभाग में करोड़ों की धांधली का आरोप, 2017 से बंद पड़े वन विद्यालय के नाम पर पदस्थापन दर्जन भर IFS अधिकारियों पर कार्रवाई की तलवार लटकने लगी है.
उत्तम साहू
रायपुर/ छत्तीसगढ़ शासन के वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग में बड़े पदों पर बैठे भारतीय वन सेवा (IFS) अधिकारियों पर गंभीर भ्रष्टाचार, पद के दुरुपयोग और शासन को करोड़ों की आर्थिक हानि पहुँचाने के आरोपों ने विभाग में हड़कंप मचा दिया है। मामला तब सुर्खियों में आया जब उदंती–सीतानदी टाइगर रिजर्व के एसडीओ एम. आर. साहू का अचानक और कथित रूप से द्वेषपूर्वक तबादला कर दिया गया। आरोप है कि उनका स्थानांतरण अंबिकापुर वन विद्यालय किया गया—जबकि यह संस्थान 2017 से बंद है और अस्तित्वहीन है। हाल ही में आईएफएस अधिकारियों द्वारा शासन को गुमराह कर करोड़ों की आर्थिक हानि पहुंचाने से जुड़े मामलों ने सरकार और प्रशासन की कार्यशैली पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं, वन विभाग में भ्रष्टाचार, पद के दुरुपयोग और प्रशासनिक अनियमितताओं के गंभीर आरोप एक बार फिर सुर्खियों में हैं।
वन विभाग में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप
दावों के मुताबिक, आईएफएस अधिकारी श्रीनिवास राव ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर एसडीओ (वन) एम. आर. साहू का तबादला ऐसे वन विद्यालय में किया है,जो वर्ष 2017 से अस्तित्व में ही नहीं है। शिकायत के अनुसार, फर्जी संस्थान के नाम पर पदस्थापना, वेतन वितरण और धनराशि का दुरुपयोग हुआ है, जिससे शासन निधी को आर्थिक छति हुई है। श्रीनिवास राव के साथ-साथ 10 से अधिक अन्य आईएफएस अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है, जिन्होंने शासन को गुमराह कर अपने स्वार्थ सिद्ध किए हैं।
शासन की प्रतिक्रिया
शिकायत के बाद, शासन ने विभागीय स्तर पर जांच शुरू कर दी है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक से स्पष्ट स्पष्टीकरण मांगा गया है और 15 दिनों में जवाब देने के लिए कहा गया है। विभाग के प्रमुख ने कहा कि सभी शिकायतों की निष्पक्ष जांच की जा रही है और दोषियों पर सख्त कार्रवाई तय है। वन मंत्री ने खुद माना कि विभाग में भ्रष्टाचार की शिकायतें आना आम बात हो गई है और नियंत्रण के लिए कार्रवाई जरूरी है
मामलों की जड़ में पद का दुरुपयोग
शिकायतकर्ता एसडीओ साहू, जो कि एसडीओ फॉरेस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं, का आरोप है कि सामूहिक हित के मामले उठाने की वजह से ही उन्हें द्वेषपूर्वक निशाना बनाया गया। उनका आरोप यह भी है कि उच्च पदस्थ अधिकारी भारतीय वन सेवा के अधिकारियों के साथ भेदभाव करते हुए, अनुचित कृत्यों पर पर्दा डालते रहे हैं।
छत्तीसगढ़ के वन विभाग में भ्रष्टाचार और प्रशासनिक अनियमितताओं की घटनाएं राज्य में सुशासन के दावे पर सवालिया निशान लगा रही हैं। शासन द्वारा सख्त कार्रवाई की बात जरूर कही जा रही है, लेकिन जांच की निष्पक्षता और दोषियों पर उचित कार्रवाई ही जनता के विश्वास को बहाल कर सकती है

