बड़ी खबर : धमतरी में करोड़ों की सप्लाई-ठेकेदारी पर ईडी की नज़र

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 बड़ी खबर : धमतरी में करोड़ों की सप्लाई-ठेकेदारी पर ईडी की नज़र


उत्तम साहू 

धमतरी। कोयला, चावल और शराब घोटालों की जांच के बाद अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एक और बड़ा कदम उठाया है

 वर्ष 2018 से 2023 तक की पूर्ववर्ती कांग्रेसी सरकार के कार्यकाल में डीएमएफ (District Mineral Foundation), सीएसआर फंड और अन्य योजनाओं में हुए करोड़ों रुपए के सप्लाई और ठेकेदारी कार्यों की जानकारी ईडी ने मांगी है।


इस कार्रवाई से जिले के कई विभागों में हड़कंप मचा हुआ है। सूत्रों का कहना है कि धमतरी जिले में डीएमएफ और सीएसआर फंड का भारी दुरुपयोग हुआ है और अगर जांच आगे बढ़ी तो कई अधिकारी-कर्मचारी ईडी की राडार पर आ सकते हैं।


तत्कालीन कलेक्टर पर गंभीर आरोप

धमतरी के तत्कालीन कलेक्टर पदुम सिंह एल्मा के कार्यकाल में सीएसआर और डीएमएफ फंड के उपयोग पर कई सवाल खड़े हुए हैं।


सीएसआर फंड (99,99,671 रुपए):

स्कूल अपग्रेडेशन के नाम पर यह राशि सीएसपीडीसीएल से मांगी गई थी, लेकिन खर्च डिस्मेंटल (तोड़फोड़) कार्यों में कर दी गई।

करीब 58.63 लाख रुपए चार ग्राम पंचायतों के माध्यम से बिना निविदा खर्च कर दिए गए।

जबकि सीएसपीडीसीएल को भेजे गए उपयोगिता प्रमाण पत्र में स्कूल अपग्रेडेशन के लिए राशि खर्च करना बताया गया।


स्कूल निर्माण में गड़बड़ी:

नगरी के प्राचीन श्रृंगी ऋषि स्कूल (अब स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी स्कूल) का निर्माण भी विवादों में है।

निर्माण के लिए न तो पीडब्ल्यूडी, न ग्रामीण यांत्रिकी सेवा और न ही नगर पंचायत को एजेंसी बनाया गया।

बल्कि कई किलोमीटर दूर चार ग्राम पंचायतों के जरिए कार्य कराए गए।

महज 2 साल में ही स्कूल की इमारत में दरारें, पानी टपकना और लेंटर गिरने जैसी घटनाएं सामने आईं।


राजनीतिक प्रतिक्रिया और जांच की मांग

पूर्व विधायक श्रवण मरकाम ने भी तत्कालीन कलेक्टर पर पद का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया था और जांच की मांग उठाई थी। अब ईडी द्वारा मांगी गई फाइलों से लोगों में उम्मीद जगी है कि पूरे मामले की सच्चाई सामने आएगी।

आगे क्या?

जांच शुरू होने के बाद कई नामचीन व्यक्तियों और अधिकारियों पर कार्रवाई हो सकती है। आम जनता की नज़र अब ईडी पर टिकी है कि क्या इस भ्रष्टाचार की परतें खुलेंगी और दोषियों पर गाज गिरेगी।




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