धमतरी जिले के सरकारी भवन में चल रहा है सेहत से खिलवाड़ का खेल
भटगांव के रीपा सेंटर में गंदगी के बीच बन रही थी बालूशाही और सेव मिक्चर.. जिला पंचायत अध्यक्ष की शिकायत पर कार्रवाई, नमूने पहुंचे रायपुर लैब
उत्तम साहू धमतरी, 3 नवम्बर।
धमतरी जिले के ग्राम भटगांव स्थित रीपा सेंटर के सरकारी भवन में संचालित एक खाद्य निर्माण इकाई पर जिला पंचायत अध्यक्ष अरुण सार्वा की शिकायत के बाद खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) धमतरी की टीम ने बड़ी कार्रवाई की। यह इकाई बिना किसी लाइसेंस के बालूशाही, सेव मिक्चर एवं अन्य खाद्य सामग्रियों का उत्पादन कर रही थी, जिसमें स्वच्छता और सुरक्षा मानकों की घोर अनदेखी पाई गई।
जिला पंचायत अध्यक्ष अरुण सार्वा और सभापति अजय फत्ते लाल ध्रुव रविवार को रीपा सेंटरों के निरीक्षण हेतु भटगांव पहुंचे। इस दौरान उन्होंने पाया कि भवन के भीतर संचालित खाद्य निर्माण इकाई में अत्यधिक गंदगी थी। निर्माण स्थल पर जगह-जगह मक्खियां भिनभिना रही थीं, मजदूर बिना किसी सुरक्षा उपकरण के खुले में काम कर रहे थे, और बालूशाही सहित अन्य खाद्य पदार्थों में रंग तथा रासायनिक तत्वों के इस्तेमाल की आशंका स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही थी।
स्थिति को तुरंत गंभीर मानते हुए अध्यक्ष सार्वा ने एफडीए अधिकारी सर्वेश यादव को सूचना दी। सूचना पर श्री यादव अपनी टीम – फूड सेफ्टी अधिकारी फनेश्वर पिथौड़ा और नमूना सहायक वर्मा – के साथ मौके पर पहुंचे। जांच में यह पाया गया कि संचालक अनिल कुमार कलवानी (निवासी आमापारा, धमतरी) के पास किसी प्रकार का वैध खाद्य निर्माण लाइसेंस नहीं है।
एफडीए टीम ने खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम 2006 एवं विनियम 2011 के तहत “विदाउट लाइसेंस” की धारा में कार्रवाई की। टीम ने बालूशाही और सेव मिक्चर के कुल चार नमूने (प्रत्येक दो किलो) सील कर रायपुर स्थित शासकीय खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला भेजे हैं। अधिकारियों ने बताया कि रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद न्यायालयीन कार्रवाई की जाएगी।
अध्यक्ष अरुण सार्वा ने मीडिया से चर्चा में कहा, “यह बेहद चिंता का विषय है कि जिस जगह बच्चों के लिए बनाई जाने वाली खाद्य सामग्री तैयार हो रही है, वहां इतना अस्वच्छ माहौल है। व्यापार करना किसी का अधिकार है, परंतु बच्चों और उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य से खिलवाड़ किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है।”
ग्राम पंचायत भटगांव के सरपंच फागूराम साहू और सचिव गजेन्द्र नेताम ने बताया कि संबंधित संचालक को पूर्व में पांच बार से अधिक चेतावनी दी जा चुकी थी, फिर भी उसने उत्पादन बंद नहीं किया। साथ ही उसने पिछले कई माहों से पंचायत भवन का किराया भी नहीं चुकाया है। पंचायत अब बैठक बुलाकर उसे केंद्र से हटाने की प्रक्रिया शुरू करेगी।
विभागीय अधिकारियों ने बताया कि जांच के दौरान कार्यस्थल पर सफाई और भंडारण की मानक प्रक्रिया (SOP) का पालन नहीं पाया गया। निर्माण स्थल पर खुले में रखे खाद्य पदार्थ और गंदगी के बीच कार्य कर रहे श्रमिक उपभोक्ता स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकते हैं।
इस मामले में संवाददाता ने जब संचालक अनिल कलवानी से बात करने और उनके पक्ष को जानने का प्रयास किया, तो उन्होंने किसी भी प्रकार की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
जिला मुख्यालय से महज चार किलोमीटर की दूरी पर ऐसी मानकविहीन और अस्वच्छ इकाई का संचालन होना गंभीर चिंता का विषय है। यह मामला इस ओर ध्यान आकर्षित करता है कि अगर मुख्यालय के नजदीक ऐसी स्थिति है, तो दूरस्थ ग्रामीण अंचलों में भी अवैध खाद्य निर्माण इकाइयों के संचालन से इनकार नहीं किया जा सकता।
आम नागरिकों ने बच्चों की सेहत से जुड़े इस संवेदनशील मामले में जिला पंचायत अध्यक्ष अरुण सार्वा और सभापति अजय फत्ते लाल ध्रुव की तत्परता और जिम्मेदारीपूर्ण रवैये की सराहना की है तथा प्रशासन से पूरे जिले में इस तरह की इकाइयों पर सख्त निगरानी और कार्रवाई की मांग की है।

